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हीरा शुक्र ग्रह का रत्न है।

हीरा एक कठोर पत्थर है तथा इसके मूल रूप में यह सामान्यतः षष्टभुजाकार, अष्टभुजाकार अथवा द्वादशफलक में पाया जाता है। इसके फलक तीव्र कोणीय होते हैं। एक अच्छा हीरा सुआकृति में क्रिस्टलीय रचना वाला, अत्यधिक पारदर्शी, चमकीला एवं धब्बों से रहित होना चाहिए। यद्यपि हीरों का कोई मूल एवं पक्का रंग नहीं होता, परंतु ये अनेक रंगों में मिलते हैं, जैसे पीला गुलाबी, नीला। हीरा शुद्धता एवं निर्भयता का संचार करता है तथा धारण करने वाले को कलात्मक योग्यता व सांसारिक खुशहाली देता है। यह हड्डियों को मजबूत करता है तथा यौन संबंधी रोगों से लडता है। यह व्यक्ति को और अधिक आकर्षक बनाता है, यह रिश्तों में प्रगाढ़ताा लाता है तथा सहृदयता प्रेम, दीर्घायु, प्रेम, संतुलन, स्पष्टता, गहराई,समृद्धि, साहस, शुद्धता, आशा, विवेक एवं बुद्धि को प्रोत्सहित करता है। यह रत्न हमें चीजों के सार अथवा गहराई तक पहुंचाने में मदद करता है।

  • प्रजाति    हीरा
  • पारदर्शिता    पादरर्शी
  • रंग    रंगहीन से हल्की पीली आभा लिए हुए, भूरा, नीला गुलाबी, काला
  • वर्तनांक:    2.417
  • दोहरा परावर्तन:   –
  • प्लिओक्रोइज्म:   –
  • माणिक आकार:    घनाकार
  • प्रकाशीय स्वभाव:    एकश, अपवर्तक
  • आपेक्षिक घनत्व:    3.52
  • मोहस की कठोरता:    10
  • छितराव:    0.044
  • प्रतिदीप्ति:    दीर्घ एवं लघु दैध्र्य जड से कठोर नीली सफेद
  • पहचान के लक्षण:    अत्यधिक कठोर एवं कान्तियुक्त सतह, अकृत्रिम एवं नैसर्गिक, मोम जैसी सतह भेद करती है।
  • स्त्रोत:    अफ्रीका, ब्राजील, वेनेजुएला, गुयाना, इन्डोनेशिया, भारत, रूस, आस्ट्रेलिया
  • दूसरे उपरत्न:    राक, क्रिस्टल, सफेद जरकान, गोशेनाइट, सफेद टोपाज
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